चंदौली, जुलाई 3 -- चंदौली। इमाम हुसैन का जिक्र और मजलिसों का मकसद इस्लाम की सही तस्वीर दुनियां के सामने पेश करने की कोशिश है। आज मुसलमान फिरकों में बंट कर खुद आगे आ गया और इस्लामी तालीम कहीं पीछे छूट गई। अल्लाह ने फिरका परस्ती की क़ुरआन में सिर्फ बुराई नहीं की। बल्कि इसे गुनाहे अजीम करार दिया है। रसूले अकरम मोहम्मद मुस्तफा का लक्ष्य एकजुटता थी। उन्होंने कबीलों में बंटे हुए अरबों को एक उसूल पर कायम कर एक कौम बनाकर दुनियां को सच का पैगाम दिया। इस्लाम का पैग़ाम इंसानियत का पैगाम है और इंसानियत सिर्फ किरदार की पाकीजगी से इंसान में आती है। नगर स्थित अजाखाना-ए-रजा में जारी मजलिसों के दौर में बुधवार को मौलाना मोहम्मद मेंहदी समेत मायल चंदौलवी, वकार सुल्तानपुरी, शहंशाह मिर्जापुरी समेत अलग-अलग वक्ताओं ने इस्लाम और आज के मुसलमानों पर अपने विचार पेश ...