धनबाद, अगस्त 8 -- धनबाद। पर्यावरण संरक्षण, भूमि संरक्षण, कोयले की गुणवत्ता सहित कई कारणों से कोयले के भूमिगत खनन पर जोर दिया जा रहा है। आधिकारिक आंकड़े के अनुसार प्रोत्साहन स्कीम के बावजूद भूमिगत कोयला खनन में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही है। पिछले पांच साल के आंकड़े पर गौर करें तो गिरावट का रुख है। भूमिगत कोयला खनन को लेकर चालू मानसून सत्र में कोयला मंत्रालय की ओर से लोकसभा में एक रिपोर्ट पेश की गई है। उक्त रिपोर्ट में जिक्र है कि विशेष रूप से पर्यावरणीय, भूमि-उपयोग और सामाजिक दृष्टिकोण से भूमिगत खनन सतही संरचनाओं को न्यूनतम क्षति पहुंचाता है, इसलिए इससे बुनियादी ढांचे, कृषि भूमि, वनों और आवास क्षेत्रों को कम नुकसान होता है। पर्यावरणीय दृष्टिकोण से, भूमिगत खनन, खुली खदानों में खनन की तुलना में काफी कम धूल और ध्वनि प्रदूषण उत्पन्न करता है।...