दरभंगा, जुलाई 22 -- दरभंगा। ऋग्वेद की बौद्धिक सामग्री, सामवेद का संगीत, यजुर्वेद का अभिनय या मूक अभिनय और अथर्ववेद का रस, नैतिक आध्यात्मिक सत्यों को मूर्त रूप देने के लिए नाट्य वेद की रचना की गई। एमएलएसएम कॉलेज में आयोजित जिला स्तरीय शास्त्रीय नृत्य प्रतियोगित का उद्घाटन करते हुए प्रधानाचार्य डॉ. शंभू कुमार यादव ने उक्त बातें कही। डॉ. यादव ने कहा कि नृत्य केवल मनोरंजन के लिए ही नहीं, बल्कि अनुशासन, निर्देश एवं प्रेरणा देने के लिए है। नृत्य की जितनी भी विधाएं हैं वे सब मिलकर पूरे भारत को जोड़ती हैं। बर्सर डॉ. अनिल कुमार चौधरी ने कहा कि नृत्य करते शिव अपनी कला में सृजन, संरक्षण, संहार, बंधन से मुक्ति और जीवन-मृत्यु के चक्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। ब्रह्मांड की दिव्य अवधारणा और भारतीय चिंतन का दर्शन नृत्य तकनीकों में व्याप्त है ओर उनकी पृष्ठ...