नई दिल्ली, जुलाई 16 -- शशांक, पूर्व विदेश सचिव भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर की सिंगापुर व चीन की यात्रा बदलती विश्व व्यवस्था के अनुकूल मानी जाएगी। सिंगापुर में बेशक 'एक्ट ईस्ट पॉलिसी' को आगे बढ़ाने पर जोर दिया गया, मगर गलवान में पांच साल पहले हुई हिंसक झड़प के बाद पहली बार किसी भारतीय विदेश मंत्री के चीन जाने पर चर्चा स्वाभाविक ही है। जयशंकर शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के विदेश मंत्रियों की बैठक में शिरकत करने तियानजिन पहुंचे थे। अपने चीनी समकक्ष वांग यी के साथ मुलाकात में दोनों नेताओं ने भारत-चीन द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा की। वास्तव में, यह भारत-चीन संबंधों का भी 'प्लैटिनम जुबली' दौर है। दोनों देशों की 75 वर्षों की इस द्विपक्षीय कूटनीतिक यात्रा में कई पड़ाव आए हैं। लिहाजा, उचित ही दोनों नेताओं ने संबंधों की स्थिरता पर जोर दिया। कैलास ...