नई दिल्ली, नवम्बर 15 -- वह गुजरते 2009 की एक उजली सुबह थी। पटना के होटल में मेरे सामने नीतीश कुमार के भरोसेमंद सहयोगी बैठे थे। मैंने उनसे पूछा कि आपके नेता की सफलता का राज क्या है? वह बोले, नीतीश बाबू राजनीति की बिसात पर ढाई कदम आगे और ढाई कदम पीछे एक साथ चलते हैं। उनके दायें हाथ को नहीं पता होता कि बायां हाथ क्या करने जा रहा है? वह यहीं नहीं रुके, रौ में बोलते चले गए- उनका करीबी से करीबी व्यक्ति यह नहीं कह सकता कि हमारा नेता अगले क्षण क्या करने जा रहा है? नीतीश बाबू राजनीतिक शिष्टाचार का ख्याल रखते हैं और अपने विरोधियों पर भी कभी निजी हमले नहीं बोलते। यही वजह है कि उनके दोस्त आशंकित रहते हैं और सियासी दुश्मन आशान्वित। आशा और आशंका के इस झूले से वह न जाने कब किसको गिरा दें और किसको झुलाने लग जाएं? आज जिनसे लड़ाई है, उसके भी आस-पास उनके दो-...