नई दिल्ली, दिसम्बर 16 -- विजय त्रिवेदी,वरिष्ठ पत्रकार दिल्ली में दिसंबर की सर्दियों की सुबह कोहरे की चादर में लिपटी रहती है। कई बार तो इतनी धुंध रहती है कि करीब से भी तस्वीर साफ नहीं दिखती। इसका अर्थ यह नहीं कि तस्वीर उजली और बेहतर न हो; भरोसा इतना मजबूत नहीं होता, फिर जैसे-जैसे दिन चढ़ने लगता है, बहुत सी चीजें साफ होने लगती हैं और आपको नजारे साफ-साफ नजर आने लगते हैं। एक लंबे इंतजार के बाद जब अचानक दुनिया में सबसे बड़े राजनीतिक दल होने का दावा करने वाली भारतीय जनता पार्टी अपने नए कार्यकारी अध्यक्ष का एलान करती है, तो उस दिन भी राजनीतिक कुहासा गहरा रहता है। ऐसे अचानक कभी हुआ नहीं, पहले कभी होता नहीं था, फिर लंबे वक्त से इंतजार हो रहा था, चर्चाएं चल रही थीं, हर कोई अपने दिमाग के घोड़े दौड़ा रहा था। कुछ बड़े विद्वानों को हमेशा की तरह यह चयन ...
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