हाजीपुर, अप्रैल 10 -- गोरौल । संवाद सूत्र श्रीमद्भागवत कथा श्रवण करने से मनुष्य भगवान का प्रिय बन जाता है। भागवत का अर्थ भगवान का हो जाना है। भागवत कथा ज्ञान महायज्ञ को त्रिवेणी भी कहते हैं। त्रिवेणी यानी जहां तीन नदियों का संगम हो, प्रयागराज में गंगा, जमुना और सरस्वती का संगम है। इस प्रकार भागवत कथा भी त्रिवेणी है। इस कथा में भक्ति ज्ञान और वैराग्य का संगम है। जब ज्ञान होता है, तो मोह का नाश होता है, जब वैराग्य होता है तो दुख का नाश होता है और जब भक्ति होती है तो आनंद की प्राप्ति होती है। माया, मोह, दुख का नाश करके जो अंतःकरण में सच्चिदानंद को प्रकट कर देते हैं। उसी को भागवत कहते हैं। उक्त बातें लोदीपुर पंचायत के चैनपुर गांव स्थित मनोकामना सिद्ध संकट मोचन हनुमान मंदिर के प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भभागवत कथा के प्रथम दिन भागवत मर्मज्ञ कथा...
Click here to read full article from source
To read the full article or to get the complete feed from this publication, please
Contact Us.