गढ़वा, फरवरी 18 -- भवनाथपुर, प्रतिनिधि। इस्पात प्राधिकरण सेल ने अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए गढ़वा जिलांतर्गत भवनाथपुर में चूना पत्थर के लिए प्रचुर मात्रा में भंडार को देखते हुए वर्ष 1965 में मांइस खोलने का निर्णय लिया। उसी क्रम में वर्ष 1972 में एशिया का सबसे बड़ा क्रशर प्लांट खोला गया। साथ ही चूना पत्थर खदान और तुलसीदामर डोलोमाइट खदान संचालित होने लगी। माइंस स्थापना होने के बाद 1200 सेल कर्मियों की पदस्थापना की गई गयी। वहीं हजारों टोकनधारी मजदूर खदान में कार्य में लगे। कर्मियों ने दिन-रात मेहनत कर माइंस को बुलंदियों तक पहुंचाया भी। उसी बीच वर्ष 1990 में सेल ने सभी कैपिटव माइंस अलग करने का निर्णय लिया गया। सहमति मिलने के बाद रॉ मटेरियल डिविजन (आरएमडी) बनाया गया था। 12 माइंस को शामिल कर उसका मुख्यालय कोलकाता बना दिया गया था। रॉ मटेरियल...
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