नई दिल्ली, दिसम्बर 16 -- नई दिल्ली, कार्यालय संवाददाता। कड़कड़डूमा कोर्ट ने पति की पुनरीक्षण याचिका खारिज करते हुए पत्नी और नाबालिग बच्चे को 80 हजार रुपये मासिक अंतरिम भरण-पोषण देने के आदेश को बरकरार रखा है। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश सुरभि शर्मा वत्स की अदालत ने न्यायिक मजिस्ट्रेट के 16 अक्तूबर 2025 के आदेश को सही ठहराते हुए कहा कि इसमें किसी प्रकार की कानूनी त्रुटि या अवैधता नहीं पाई गई है। अदालत ने स्पष्ट किया कि मामले के तथ्यों और परिस्थितियों को देखते हुए मजिस्ट्रेट के आदेश में हस्तक्षेप की कोई आवश्यकता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि पति अपने वैवाहिक दायित्वों से बच नहीं सकता और भरण-पोषण देना उसका कानूनी कर्तव्य है। अदालत ने यह भी माना कि पति यह साबित करने में असफल रहा कि उसकी पत्नी आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर है। कोर्ट के अनुसार, पत्नी और नाबाल...