नई दिल्ली, जून 9 -- प्रश्न आया है कि भय से छुटकारा कैसे पाएं? सबसे पहली बात, यदि आप किसी चीज पर काबू पाना चाहते हैं, तो इसका अर्थ है कि उसे आपको बार-बार जीतना पड़ेगा। किसी भी समस्या को पूरी तरह से जीता नहीं जा सकता; आप उसे समझ सकते हैं। ये दोनों प्रक्रियाएं बिल्कुल अलग हैं। जीतने की प्रक्रिया और अधिक दुविधा, और अधिक भय की ओर ले जाती है। प्रतिरोध करना, किसी समस्या से लड़ना अथवा उसके खिलाफ सुरक्षा तंत्र खड़ा करना और अधिक संघर्ष पैदा करना है, जबकि यदि हम भय को समझ सकें, पूरी तरह से उसकी तह तक पहुंच सकें, तो वह किसी भी रूप में कभी वापस नहीं लौटेगा। भय का पृथक अस्तित्व नहीं होता, वह किसी न किसी संदर्भ में ही होता है। भय से हमारा क्या अभिप्राय है? आखिरकार हम भयभीत तो हैं, हम कुछ नहीं हैं और कुछ बन भी नहीं रहे, इसका हमें भय है। जब कुछ न होने, आग...
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