मैनपुरी, सितम्बर 7 -- कस्बा के जैन मंदिरों में शनिवार को दश लक्षण महापर्व का समापन धार्मिक उत्साह के साथ हुआ। अंतिम दिन भगवान वासुपूज्य स्वामी का निर्वाण लाडू चढ़ाया गया। जैन धर्म में इस दिन का विशेष महत्व है क्योंकि इसे अनंत चतुर्दशी व उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म दिवस के रूप में मनाया जाता है। सुबह भक्तों ने भगवान का अभिषेक व शांतिधारा की। जिसके बाद उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म की विशेष पूजा-अर्चना की गई। जैन समाज के राकेश जैन ने उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का महत्व बताया। कहा कि आचार्यों के अनुसार ब्रह्मचर्य का अर्थ केवल इंद्रियों के संयम तक सीमित नहीं है बल्कि यह जीवन में मानसिक, वाचिक व कायिक रूप से काम, क्रोध, लोभ जैसे आंतरिक विकारों पर विजय प्राप्त करने का मार्ग है। यह आत्मिक शांति व आंतरिक शक्ति का आधार है। उन्होंने कहा कि भगवान वासुपूज्य स्वामी ने इ...