लखनऊ, अप्रैल 26 -- लखनऊ, संवाददाता। चिन्मय मिशन लखनऊ की ओर से अंतरराष्ट्रीय बौद्ध शोध संस्थान में चल रहे मानस ज्ञान यज्ञ (श्रीराम नाम महिमा) में स्वामी अद्वैतानंद ने बताया कि भक्ति में विभिन्न साधनों से भगवान से संबंधानुभूति होती है लेकिन मानव त्रासदी यह है कि वह वस्तुओं में संतोष तृप्ति तलाशता है जो कि वहां है ही नहीं। वहां केवल सुखाभास होता है। परमात्मा जो रस के स्रोत हैं। भक्त भगवान के जितना निकट होता है, उतना ही आनंद में रहता है। भले ही वह सांसारिक दृष्टि से गरीब हो।

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