लखनऊ, सितम्बर 20 -- शास्त्री नगर स्थित श्री दुर्गा जी मंदिर में चल रही श्री राम कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को कथा व्यास दिलीप शुक्ल जी ने ऋषि वाल्मीकि जी और रामजी के बीच हुए प्रसंग का वर्णन किया। कथा व्यास कहते हैं कि श्रीराम ने पूछा ऋषिवर, मेरे रहने के लिए कोई उचित स्थान बताएं। तब ऋषि मुस्कराते हुए कहते हैं कि मुझे आप ऐसी जगह बताएं जहां आप पहले से उपस्थित न हों। व्यास जी कहते हैं कि वाल्मीकि जी बताते हैं कि भगवान की सुंदर कथा अनेकों सुंदर नदियों के समान है, जो सुनने वालों के कानों को समुद्र की तरह भरती हैं, पर कभी पूरी नहीं होती। यह उन लोगों के लिए है जिनके कान समुद्र के समान हैं, और आपकी सुंदर कथा रूपी नदियां उन्हें लगातार भरती रहती हैं, फिर भी वे तृप्त नहीं होते। हमेशा और अधिक सुनने की लालसा रखते हैं। ऐसे व्यक्ति का हृदय प्रभु के लिए ए...
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