गढ़वा, अगस्त 14 -- श्रीबंशीधर नगर, प्रतिनिधि। प्रयागराज से पधारे कथावाचक जगदगुरू रामानुजाचार्य मुक्तिनाथ स्वामीजी महाराज ने कथा के तीसरे दिन की शुकदेव और परीक्षित संवाद की हृदयस्पर्शी चर्चा करते हुए कहा कि राजा परीक्षित ने शुकदेव जी से पूछा कि मृत्यु के पहले क्या करना चाहिए? उन्होंने कहा कि भगवन नाम स्मरण में लीन रहना ही जीवन की सच्ची तैयारी है। स्वामी जी श्रीराधावंशीधर मंदिर में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव के मौके पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा सप्ताह पर प्रवचन कर रहे थे। स्वामीजी ने शुकदेव परीक्षित संवाद की व्याख्या करते हुए ऋषि शमीक के पुत्र श्रृंगी ऋषि ने राजा परीक्षित द्वारा उनके पिता के गले में मृत सर्प लपेटे जाने की बात सुनकर क्रोध में शाप दिया था कि सातवें दिन तक्षक नाग के दंश से राजा परीक्षित की मृत्यु होगी। सातवें दिन मृत्यु निश्चित होने पर ...