नई दिल्ली, जून 24 -- प्राचीनकाल से चली आ रही रथ-यात्रा के प्रति लोगों के मन में चैतन्य महाप्रभु ने विशेष भाव जगाया। उन्होंने कृष्ण भक्ति को भजन-कीर्तन और नृत्य से जोड़कर रथ-यात्रा को और भी रसमय बना दिया। अब जब जगन्नाथ पुरी में रथ-यात्रा निकलती है, तब दुनियाभर से लाखों की संख्या में यहां आए लोग इस भव्य आयोजन के साक्षी बनते हैं। रथ-यात्रा की यह प्रथा सतयुग से चली आ रही है। रथ-यात्रा का प्रसंग स्कंद पुराण, पद्म पुराण, पुरुषोत्तम-माहात्म्य आदि ग्रंथों में वर्णित हुआ है। इस रथ-यात्रा का उद्देश्य यह है कि वे लोग जो संपूर्ण वर्ष भर में मंदिर में प्रवेश नहीं पा सकते हैं उन्हें भगवान के दर्शन का सौभाग्य प्राप्त हो। यह रथ-यात्रा का बाह्य कारण है, किंतु इसके गूढ़ रहस्य को श्रीचैतन्य महाप्रभु ने प्रकटित किया है। श्रीजगन्नाथ मंदिर द्वारका या कुरुक्षेत...