बाराबंकी, अक्टूबर 17 -- हैदरगढ़। संत दर्शन व हरि कथा बड़ी दुर्लभ बात है। जिसे मिले वह भाग्यशाली कहा जाता है। ये बातें महाकाल उज्जैन मठ के पीठाधीश्वर प्रणव पुरी महराज ने चौबीसी गांव में प्रधान गौरव सिंह के यहां आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पुत्र के कार्यों के द्वारा पिता का सम्मान बढे़ तो सच्ची पितृ सेवा मानी जाती है। कहा भगवान राम के धनुष भंग करने के बाद राजा जनक के दूत यह समाचार अयोध्या लेकर आते हैं। पत्र को सुनने के बाद राजा दशरथ इतने विह्वल हो जाते हैं कि दूत के द्वारा लाए पत्र को स्वंय बार बार पढ़ते हैं। लोगों को सुनाते हैं। इसी तरह गोवर्धन पर्वत उठाने के बाद इन्द्र व वरुण आदि देवताओं को अपने पुत्र कन्हैया के चरणों में गिरते देख नंदबाबा विह्वल हो जाते हैं। सारे देवताओं को जब पता चलता है कि कन्हैया के पि...