हरदोई, फरवरी 18 -- हरदोई। कभी हमारे बनाए मिट्टी के बर्तन घरों की शान हुआ करते थे, तरह-तरह के दीये हर तरफ रोशनी बिखेरते थे। चौतरफा कुल्हड़ का प्रचलन था पर जैसे-जैसे समय बीतता गया, हम समस्याओं से ग्रसित होते चले गए। यह दर्द हरदोई के कुम्हारों का उभर कर सामने आया। इनका कहना है कि मंदी के इस दौर में रोजी-रोटी तक के लाले हो गए हैं। प्लास्टिक का चलन क्या बढ़ा, कुम्हारों के कारोबार पर ग्रहण लग गया। सबसे ज्यादा मांग चिकनी मिट्टी की है, जिसके लिए हमेशा मारामारी ही मची रहती है। ट्रैक्टर-ट्रॉली भरकर मिट्टी लाने पर कभी पुलिस तो कभी खनन विभाग के अधिकारी परेशान करते हैं। कुम्हारों ने मांग की है कि 60 की उम्र पूरी कर चुके कुम्हारों को पेंशन और आयुष्मान कार्ड की सुविधा दी जाए। संसाधनों की खरीद में सब्सिडी मिलनी चाहिए। ताकि हमारे कारोबार को 'ऑक्सीजन मिल सके...
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