हजारीबाग, जून 23 -- हजारीबाग में रक्तदान सिर्फ एक सेवा नहीं, जिंदगी बचाने का माध्यम बन चुका है। शहर में थैलेसीमिया और अन्य गंभीर बीमारियों से पीड़ित सैकड़ों मरीजों को नियमित रूप से रक्त की आवश्यकता होती है लेकिन जागरुकता की कमी, भ्रांतियों और सरकारी उदासीनता के कारण समय पर रक्त उपलब्ध नहीं हो पाता। ब्लड सेपरेशन यूनिट जैसी महत्वपूर्ण सुविधाएं आज भी अधूरी है। बोले हजारीबाग कार्यक्रम के दौरान हिन्दुस्तान की टीम से बात करते हुए रक्तदाताओं और समाजसेवियों ने अपनी समस्याएं साझा की। हजारीबाग । रक्तदान को महादान कहा गया है, लेकिन हजारीबाग शहर में यह एक गंभीर आवश्यकता बन चुकी है। यदि समय रहते जागरुकता नहीं बढ़ाई गई तो कई ज़िंदगियां संकट में पड़ सकती हैं। हजारीबाग में वर्तमान में 284 मरीज थैलेसीमिया से पीड़ित हैं। इन्हें नियमित अंतराल पर रक्त चढ़ाने...