सीवान, अप्रैल 19 -- गांव के विकास के रफ्तार देने में सबसे आम भूमिका मनरेगा ने निभाई है। मनरेगा मजदूर ग्रामीण विकास को अपने पसीने से सींचते हैं। सुबह से शाम तक मेहनत करते हैं। सड़क निर्माण अहार पइन सफाई से लेकर नाला सफाई तक तमाम विकास के काम मनरेगा मजदूरों के कंधे पर है, लेकिन जिले में मनरेगा मजदूरों की आर्थिक स्थिति बहुत खराब हो गई है। श्रमिकों का कहना है कि पांच महीने से मजदूरी का भुगतान नहीं हुआ है। रोजाना बैंकों के चक्कर काट रहे हैं, ऐसे में ग्रामीण इलाकों में कई लोग पहले ही काम की तलाश में गांव छोड़ चुके हैं। अब ऐसी स्थिति है कि जो लोग गांव में रहकर मनरेगा के तहत काम कर रहे हैं उनके बच्चों की पढ़ाई, दवाई व आवश्यक वस्तुएं नहीं खरीद पा रहे हैं। बीमारी का उपचार नहीं हो पा रहा है। मजदूरी भुगतान के लिए अफसर से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन उनका ...