रायबरेली, जून 30 -- पार्किंग की समस्या, ट्रांसपोर्ट नगर न होना, टोल टैक्स, ईएमआई का बोझ, आरटीओ के टैक्स में बेतहाशा बढ़ोतरी से ट्रांसपोर्टरों की स्थिति अब पहले जैसी नहीं रह गई है। धंधे के बड़े खिलाड़ियों को छोड़ दें तो ट्रेड की चकाचौंध देखकर आने वाले कारोबारियों की स्थिति मझधार में फंसी नाव जैसी है। सरकार की सख्ती के साथ आरटीओ और ट्रैफिक विभाग की मनमानी से ट्रक संचालक बुरी तरह प्रभावित हैं। जिले में करीब 12 हजार ट्रक आरटीओ में पंजीकृत हैं। इनमें से बमुश्किल 40 फीसदी ही सड़कों पर सक्रियता से दौड़ते दिखते हैं। इसके अलावा तीन हजार छोटी गाड़ियां पंजीकृत हैं। तमाम ट्रक ईएमआई नहीं चुकता करने से गैराज में खड़े हैं तो कई आरटीओ की मोटी फीस के चलते खड़े हैं। चाहे त्योहार हो या कोई विशेष अवसर अक्सर इन लोगों को रोक दिया जाता है। इससे इनकी रॉयल्टी खत्म होने का...