रांची, सितम्बर 2 -- रांची, संवाददाता। झारखंड में 30-35 लाख की आबादी कुम्हार समाज की है। इस समाज के लोग आज कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। सोमवार को हिन्दुस्तान के 'बोले रांची कार्यक्रम में शामिल हुए समाज के लोगों ने बताया कि कभी घर-घर की जरूरत रहे मिट्टी के बर्तन और दीये की जगह अब प्लास्टिक, स्टील और चाइनीज सामान ले चुके हैं। वहीं, यह समाज जगह, मिट्टी, पानी और ईंधन की कमी से जूझ रहा है। अच्छी मिट्टी की अनुपलब्धता और महंगे ईंधन की वजह से बर्तनों की लागत बढ़ गई है। इससे खरीदार भी कम हो रहे हैं। इस कारण युवा इस पेशे से विमुख हो रहे हैं। साथ ही कहा कि मिट्टी और जलावन की किल्लत, बाजार की कमी, आधुनिक विकल्पों से प्रतिस्पर्धा और माटी कला बोर्ड के निष्क्रिय होने सेे कुम्हारों की पुश्तैनी कला खत्म होने के कगार पर है। लोगों ने कहा कि समय रहते ठोस...