मैनपुरी, फरवरी 19 -- मुगल सल्तनत की बात रही हो या फिर अंग्रेजी हुकूमत का दौर। मैनपुरी की जरदोजी का सूरज हमेशा उगता रहा। राज बदलते रहे, ताज बदलते रहे मगर जरदोजी के सामने कभी गुमनामी की नौबत नहीं आई लेकिन महंगाई और बदलाव के दौर ने जोर पकड़ा तो इस कला की दीवानगी का सूरज मंदिम पड़ने लगा। महारानी विक्टोरिया भी इस कला की दीवानी थी, अमेरिका में भी हिन्दुस्तान में तैयार होने वाले जरदोजी उत्पादों की खूब डिमांड रहती थी। हिन्दुस्तान संवाद के दौरान इस कला के कारीगरों से बात की गई तो उन्होंने दिल खोलकर कला की दीवानगी का उत्साह तो दिखाया ही, साथ ही ये भी कहा कि सरकार की मदद मिले तो जरदोजी कला बड़े कारोबार का मजबूत हिस्सा बन सकती है। एक जनपद एक उत्पाद में शामिल जरदोजी कला से जुड़े कारीगर दो वक्त की रोटी की तलाश में देश के विभिन्न राज्यों में भटकने पर मजबूर ...