मैनपुरी, मार्च 19 -- महाभारत काल से जुड़े महर्षि च्यवन ऋषि, मयन ऋषि और मार्कण्डेय ऋषि की तपोभूमि के लिए विख्यात मैनपुरी की पहचान घनघोर जंगलों से भी होती है। ऋषियों ने इन जंगलों में रहकर तपस्या की और अपना वक्त बिताया, लेकिन धीरे-धीरे जंगल खत्म होते गए। अब आलम ये है कि पर्यावरण की रक्षा के लिए मैनपुरी में हर साल 30 से 35 लाख नए पौधे लगाए जाते हैं फिर भी यहां पर जंगल घट रहे हैं। बारिश कम होती है जलस्तर लगातार नीचे जा रहा है। पौधरोपण न होने और पेड़ों के कटान की जब बात होती है तो कागजों को दिखा दिया जाता है, लेकिन हकीकत कोसों दूर है। किशनी के ग्राम हरिसिंहपुर और नगला रमू के बीच पौधरोपण किया गया। हरियाली प्लांट लगाया गया। रखरखाव के लिए कर्मचारी तैनात किए गए। वन विभाग ने दावा किया कि इस इलाके को हरियाली के दृष्टिगत विकसित ही नहीं किया जाएगा बल्कि ...
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