मैनपुरी, फरवरी 14 -- मैनपुरी की जमीन कवि, रचनाकारों, कथाकारों और हिन्दी साहित्य को दुनिया भर में सम्मान दिलाने वालों से जुड़ी है। मैनपुरी के कुसमरा से जुड़े हिन्दी के सशक्त हस्ताक्षर महाकवि देव की कृतियों की दुनिया दीवानी है तो वहीं हिन्दी के श्रेष्ठ रचनाकार कमलेश्वर भी किसी पहचान के मोहताज नहीं हैं। मैनपुरी की पहचान देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में चमकाने वाली यहां की माटी में जन्मी बुकर पुरस्कार से सम्मानित गीतांजलि का नाम भी पूरे सम्मान के साथ लिया जाता है। लेकिन नई पीढ़ी कथा और कहानियों के साथ काव्य रचनाओं से दूरी बना चुकी है। यही वजह है कि यहां कवि कोई बनना ही नहीं चाहता। इस विधा से जुड़े कवियों का अपना दर्द है। मैनपुरी में साल में 10 से 12 बड़े कवि सम्मेलन आयोजित होते हैं। अपना दिवस और कवि सम्मेलन जैसे आयोजनों के साथ-साथ मुशायरा का भी अ...