मैनपुरी, मई 28 -- पूड़ियां बेलती महिलाओं का समूह और वातावरण में छाने वाली कद्दू और मट्ठा के आलू की महक जो भी महसूस करता है उसका दिल इस तरह की दावत का हिस्सा बनने के लिए मचल पड़ता है। यदि आप गांव से जुड़े हैं तो आप भी इस दावत का हिस्सा जरूर बने होंगे और शहर की दावत में होने वाली छीना-झपटी पर जरूर चर्चा करते होंगे। गांव की इन दावतों में पत्तल और मिट्टी के कुल्हड़, सरैया जैसे बर्तनों के इस्तेमाल का अलग ही मजा है। इन दिनों मैनपुरी में धार्मिक आयोजनों के दौरान सामूहिक दावतों का दौर चल रहा है। हां एक रोचक बात यह भी है कि इन दावतों को तय करने के दौरान यह भी तय होता है कि कितने कुंतल गेहूं की दावत होनी है। हिन्दुस्तान के बोले मैनपुरी संवाद के दौरान इस तरह की दावतों की जरूरत बताई गई। कहा कि शहरों में होने वाली बूफे यानी बफर की दावतों में धक्का-मुक्की ...