मेरठ, फरवरी 16 -- स्कूल का ताला खोलने से लेकर बंद करने तक का जिम्मा शिक्षामित्र का होता है। चुनाव से लेकर अन्य सरकारी कार्यों को बखूबी करते हैं। इसके बावजूद आज शिक्षामित्र कई बड़ी समस्याओं से जूझ रहे हैं। वहीं मानदेय बढ़ाए जाने की घोषणा के बाद से शिक्षामित्रों में एक उम्मीद की किरण जागी है। यह सभी भविष्य में कुछ बेहतर होने की एक आस लिए अपने काम को अंजाम तो दे रहे हैं, साथ ही बुनियादी समस्याओं का समाधान चाहते हैं। शिक्षामित्रों की नियुक्ति 2000 के दशक में प्राथमिक शिक्षा को मजबूत करने के लिए की गई थी। नियुक्ति के बाद सभी शिक्षामित्रों ने दो वर्षीय बेसिक ट्रेनिंग कोर्स (बीटीसी) पूरा किया। कुछ शिक्षा मित्रों ने बीएड तक भी कर लिया। इसके बाद काफी संख्या में शिक्षा मित्र यूपीटेट, सीटेट और सुपर टेट करके अध्यापक भी बन गए लेकिन अभी भी बड़ी संख्या ...