मुरादाबाद, फरवरी 14 -- बेटियों ने ढेरों सपने आंखों में संजोए हैं। वे अपने लक्ष्य को पूरा करने के लिए तमाम परेशानियों से मुकाबला भी कर रही हैं। कहीं असुरक्षा तो कहीं समाज की व्यवस्था उनके हौसले को तोड़ने का कदम-कदम पर प्रयास करती हैं। लेकिन वे अपने मजबूत इरादे से हौसलों को उड़ान दे रही हैं। हालांकि, बेटियों को मौके के साथ ही सुरक्षा देने की जिम्मेदारी पूरे समाज की है। बेटों से देर से घर आने पर सवाल नहीं किया जाता लेकिन, बेटियों से सवाल होते हैं। इस सोच को बदलना होगा। साथ ही बेटियों की सुरक्षा के लिए समुचित प्रबंध होने चाहिए। कुछ बेटियों ने यहां तक कहा कि करियर को लेकर काउंसलिंग बेहतर हो। साथ ही घर वालों की भी काउसलिंग होनी चाहिए। बेटियों को आगे बढ़ने का मौका मिले तो वे समाज को दिखाएंगी कि उनमें कितना साहस है। उन्हें फैसला लेने का अधिकार मिलना...