भागलपुर, मई 12 -- संग्रामपुर प्रखंड में स्थित बलिया पंचायत के केन्दुआ गांव में बसे कुम्हार समुदाय का जीवन मिट्टी और चाक के इर्द-गिर्द घूमता रहा है। पीढ़ियों से यह समुदाय पारंपरिक रूप से मिट्टी के बर्तन, खपड़े, कुल्हड़ और सुराही बनाकर अपनी आजीविका चलाता रहा है। लेकिन आधुनिकता की तेज रफ्तार, प्लास्टिक और धातु के बर्तनों का बढ़ता चलन, सरकारी उदासीनता, कच्चे माल की उपलब्धता में कमी और महंगी बिजली ने इस कला और व्यवसाय को संकट में डाल दिया है। यह स्थिति केवल केन्दुआ गांव के कुम्हारों की ही नहीं है, बल्कि प्रखंड के अन्य क्षेत्रों में बसे कुम्हारों की भी है। कुम्हारों की यह व्यथा सिर्फ आर्थिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक और सामाजिक भी है। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान जिले के कुम्हार समाज के लोगों ने अपनी परेशानी बताई। 10 किलोमीटर है संग्रामपुर प्र...