भागलपुर, मार्च 5 -- जिले में लोहार जाति की समस्या प्रतिदिन बढ़ रही है। 1950 से लोहार अनुसूचित जनजाति में हैं। 75 साल बीत जाने के बाद भी मात्र दो साल ही इसका लाभ उन्हें मिला। उसके बाद पिछड़ी जाति में डाल दिया गया। आश्चर्य यह कि इन्हें कमार जाति की उपजाति बना दी। जब इस बार जनगणना हो रही थी तो गजट में लोहार जाति का कोड ही नहीं था। लोहार को कोड नंबर 14 पर कमार जाति की उपजाति (लोहार, कर्मकार) बना दी। समाज के लोगों ने कहा कि हम लोगों के खतियान में भी लोहार ही लिखा हुआ है। ऐसी स्थिति में हम लोग उपजाति में अपनी जनगणना कैसे कराते। इस कारण बिहार में हमारी ठीक से गणना भी नहीं हो सकी। हिन्दुस्तान के साथ संवाद के दौरान समुदाय के लोगों ने समस्याएं बताईं। 01 लाख 66 हजार है जिले में लोहार जाति की संख्या 03 लोग बंदूक फैक्ट्री में मजदूर के रूप में करते थे ...