मिर्जापुर, जून 6 -- आप लोग हरियाली देख कर खुश हो जाते हैं, कभी हमारी हालत देखिए। हम सूखे खेत जैसे हो गए हैं। न बिजली है न पानी। पाली हाउस के लिए सरकारी सहायता नहीं मिलती। पौधा बड़ा करना बच्चे को पालने जितना कठिन है। ऊपर से मिट्टी 500 से 1500 रुपये ट्राली हो गई है! खेती से भी महंगा हो गया है नर्सरी चलाना। नर्सरी संचालकों का कहना है कि मिट्टी, लाइसेंस, पाली हाउस जैसी समस्याओं का समाधान हुए बिना राहत नहीं मिलेगी। नर्सरियों के बंद होने का भी खतरा मंडरा रहा है। मिर्जापुर में 300 से अधिक नर्सरी हैं, जिनसे लगभग दो हजार से अधिक परिवारों की आजीविका जुड़ी है। हरियाली और पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी निभा रहे नर्सरी संचालक कई समस्याओं से जूझ रहे हैं। मिट्टी-पानी, लाइसेंस, सरकारी उपेक्षा और बढ़ती लागत के बीच पौधों का संसार संजो रहे हैं। नगर के करीब ...