मिर्जापुर, जून 1 -- 'सुंदरघाट नाम सुनते ही मस्तिष्क में गंगा की लहरों से अठखेलियां करता किनारा, स्नान-पूजन करते श्रद्धालु, नाविकों की चहल-पहल का अक्स घूम जाता है, आज वह घाट संकट में है। गंगा की कटान ने इस घाट को निगलना शुरू कर दिया है। लोग चाहते हैं कि प्रशासन घाट की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाए। घाट पर शौचालय और बैठने की जगह बनाएं, जिससे श्रद्धालुओं को राहत मिले। नाम के अनुरूप घाट को सुंदर बनाने के लिए सफाई मित्रों की नियुक्ति की जाए। गंगा आस्था, संस्कृति और रोजी-रोटी का आधार है, लेकिन अफसोस सुंदरघाट की हालत बदहाल हो रही है। इतिहासकारों के अनुसार सुंदरघाट की सीढ़ियां और घाट की संरचना 19वीं सदी में बनवाई गई थी। इसे किसी स्थानीय जमींदार या व्यापारी ने बनवाया था, जो धार्मिक कार्यों के लिए स्थल चाहते थे। इसे सुंदरघाट इसलिए कहा गया क्योंकि यह ...