मिर्जापुर, मई 24 -- भैया! बैग अच्छा है, कल आऊंगा लेने-यह कहकर ग्राहक चले जाते हैं, मगर 'कल कभी नहीं आता। बैग बेचने वाले दुकानदार इसी झूठे दिलासे के सहारे रोज दुकान खोलते हैं। बाजार की दुश्वारियों और ऑनलाइन मार्केटिंग ने इन दुकानदारों के चेहरे से मुस्कान छीन ली है। उनमें डर समाता जा रहा है कि अगर ऐसे ही चलता रहा तब दुकानों का शटर हमेशा के लिए गिरना तय है। सैकड़ों चूल्हे ठंडे हो जाएंगे। उनका कहना है कि बाजार तक आसान पहुंच हो, सस्ता लोन मिले तो हम सर्वाइव कर लेंगे। जिले में बैग की करीब 200 दुकानें हैं। इनमें 40 से 50 दुकानें शहरी क्षेत्र में हैं। शेष दुकानें कस्बों और गांवों में हैं। प्रत्येक दुकान पर औसतन 5 से 7 लोग काम करते हैं। यह कारोबार 1000 से ज्यादा लोगों की आजीविका का आधार है, लेकिन बैग का व्यवसाय अब संघर्ष बन गया है। कभी शिक्षा सत्र...