मथुरा, सितम्बर 12 -- योगीराज श्रीकृष्ण की नगरी से मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम का गहरा नाता रहा है। त्रेता युग में यहां लवणासुर का वध करने के लिए भगवान राम ने अपने लघु भ्राता शत्रुघ्न को भेजा था। शत्रुध्न ने ब्रजभूमि पर शासन भी किया। यही नहीं गोस्वामी तुलसीदास को भी यहां पर भगवान श्रीकृष्ण ने मुरली के स्थान पर धनुष बाण हाथ में लेकर दर्शन दिए थे। यही वजह है कि मथुरा में रासलीला के साथ-साथ रामलीला की अपनी अलग पहचान है। मथुरा शैली की रामलीला समूचे उत्तर भारत में विख्यात है। मथुरा कृष्ण की नगरी है लेकिन मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की लीला के प्रचार-प्रसार और विस्तार में इस नगरी के कलाकारों की अहम भूमिका रही है। करीब 70 वर्ष पूर्व चतुर्वेदी रामलीला मंच की स्थापना के बाद मथुरा शैली की रामलीला आज समूचे उत्तर भारत सबसे ज्यादा लोकप्रिय है। बतात...