मथुरा, जून 4 -- भले ही ग्राम प्रधान एक संवैधानिक पद हैं, लेकिन उन्हें सांसद व विधायक जैसे अन्य संवैधानिक पदों की तरह न तो पेंशन मिलती है, न सुरक्षा। सांसद, विधायक की तरह ग्राम प्रधान भी भारतीय संविधान के उपबंधों के तहत सीधे जनता द्वारा चुने जाते हैं। वे गांव के विकास, व्यवस्था और प्रशासनिक कार्यों की पहली कड़ी होते हैं, लेकिन इसके बावजूद उन्हें विभिन्न संवैधानिक सुविधाओं से वंचित रखा गया है। जहां एक ओर सांसद, विधायकों को एक बार चुनने के बाद आजीवन पेंशन मिलती है, वहीं प्रधानों को कई बार प्रधान बनने के बाद भी कोई स्थायी आर्थिक या सामाजिक सुरक्षा नहीं मिलती। ग्राम प्रधानों की इन मांगों को लेकर यहां आवाज बुलंद होने लगी है। उनकी सरकार से मांग है कि ग्राम प्रधानों को भी संवैधानिक पदधारियों की तरह अधिकार, पेंशन, सुरक्षा एवं सम्मान दिया जाए। प्रधा...