मथुरा, मई 7 -- एक दशक पूर्व तक मांट क्षेत्र में बड़े पैमाने पर खादर की जमीन पर यमुना की बालू में देशी तरबूज-खरबूज का उत्पादन होता था। मांट के नाम से तरबूज-खरबूज हाथों हाथ बिक जाते थे। यहां मथुरा जिले के अलावा आस पास के जिलों से लोग केवल मांट के तरबूज-खरबूज खरीदने आते थे। वहीं किसान इन्हें दूर दराज के शहरों में भी ट्रकों में भर कर बेचने जाते रहते थे। वहां अच्छा खासा मुनाफा उन्हें मिलता था। मिठास के लिए मशहूर मांट के तरबूज-खरबूज अब गुजरे जमाने की बात हो गयी है। इसका कारण यमुना का प्रदूषण है। जिसके कारण देशी तरबूज-खरबूज तो अब किसानों ने उगाना ही बंद कर दिया है। यमुना के केमिकल युक्त पानी के चलते इस फल की अब खादर में पैदावार नहीं हो रही है। परिणाम यह है कि मांट के तरबूज-खरबूज की मिठास अब यादें बनकर रह गई है। किसानों ने भी इसकी खेती कम कर दी है...