प्रतापगढ़ - कुंडा, मई 10 -- रबी की बोआई का सीजन शुरू होते ही किसान खेतों की ओर निकल पड़ता है। बोआई से लेकर कटाई तक किसान छह महीने कड़ी मेहनत कर गेहूं की फसल तैयार करते हैं। इस दौरान सिंचाई, समय समय पर खाद, दवा का छिड़काव के साथ नीलगाय और निराश्रित गोवंश से बचाने के लिए दिन रात एक करना पड़ता है। फिर लहलहाती फसल, गेंहू की बालियां देखकर किसान झूम उठता है। कारण उसे यह लगने लगता है कि उसकी लागत और मेहनत का परिणाम चंद दिनों में ही मिलने वाला है लेकिन दर्द तब होता है जब बेमौसम बारिश, ओला, आंधी अथवा आग से पलभर सारी मेहनत पर पानी फिर जाता है। सारे सपने बिखर जाते हैं। किसान को इससे भी बड़ा आघात तब लगता है जब मौसम की मार से चौपट हुई फसलों का आकलन करने के लिए सरकार की ओर से नामित अफसर नुकसान का आकलन ठीक से नहीं करते। जबकि सरकार की ओर से निर्देश है कि ...
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