बेगुसराय, फरवरी 23 -- सामाजिक एकता की मजबूत मिसाल है कंसार। जहां गांव भर की महिलाएं भूंजा भूंजने के लिए जमा होती थी और अपना व दूसरों के सुख-दुख को बांटती थीं। लेकिन बदलते दौर में खाने-पीने की अभिरुचि बदली और कंसार की सोंधी महक विलुप्त होने के कगार पर है। चाउमिन, पिज्जा, बर्गर जैसे फास्ट फूड ने गेहूं, मक्के, चना सहित कई तरह के भूंजा की जगह ले ली है। धुआं के बीच काम करने वाले इन लोगों की स्वास्थ्य जांच के लिए नियमित शिविर लगाने की जरूरत है। आज भी किसी गांव की गलियों से गुजरें तो कभी-कभी कंसार के आसपास भूंजे हुए अनाज की सोंधी महक आपको आकर्षित कर सकती है। हलांकि अब इसकी संख्या बहुत कम रह गई है। लेकिन कई गांवों व कस्बों में इसकी महक मौजूद है। लगभग 20 वर्ष पहले सभी गांवों में एक कंसार होते थे। लेकिन धीरे-धीरे विलीन हो रहे हैं। इसकी संख्या लगाता...