बुलंदशहर, मई 2 -- बुलंदशहर, संवाददाता। आयुर्वेद के चिकित्सक क्लीनिक संचालित करने के लिए क्षेत्रीय आयुर्वेद एवं यूनानी अधिकारी कार्यालय से लाइसेंस लेते हैं। डिग्री पूरी होने पर ही लाइसेंस मिलता है। आयुर्वेद के चिकित्सकों का कहना है कि जब विज्ञान भी मानता है कि आयुर्वेद पद्धति में बेहद दम है तो सरकार इसे राष्ट्रीय चिकित्सा पद्धति क्यों घोषित नहीं करती। चिकित्सकों का कहना है कि हमें 58 सर्जरी करने का अधिकार है, लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें केवल क्षारसूत्र की ही अनुमति दी है। उन्हें डिग्रीधारक होने के बाद भी उन्हें झोलाछाप बताकर कार्रवाई कर दी जाती है। यह उनकी पेशेवर स्थिति को कमजोर करता है। संसाधनों की कमी, आयुर्वेद अस्पताल का जर्जर होना और सरकारी भवन की सुविधा न मिलना और औषधियों के भंडारण की व्यवस्था तक नहीं होना आयुर्वेद चिकित्सकों के सामने...