बुलंदशहर, फरवरी 22 -- पुरोहित और कथावाचक समाज का वह महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो सनातन संस्कृति को जीवित रखे हुए हैं। जन्म से लेकर विवाह संस्कार हो अथवा मृत्यु के बाद अंतिम संस्कार तक इनके बगैर संभव नहीं है। अध्यात्म की ओर पूरी दुनिया के बढ़ रहे झुकाव के चलते पुजारियों और कथावाचकों की अहमियत तो बढ़ी है, लेकिन इनकी जिंदगी झंझावतों से भरी हुई है। कहीं भी कोई निश्चित दक्षिणा नहीं है। श्रद्धानुसार इन्हें यजमान जो भी दे देते हैं, रख लेते हैं। आज भी तमाम कथावाचक और पुजारी के पास आवास नहीं है। बच्चों को उच्च शिक्षा नहीं मिल पा रही है। आर्थिक असुरक्षा तो है ही, चिकित्सीय सुरक्षा भी नहीं है। किसी प्रकार का बीमा योजना का लाभ इन्हें नहीं मिलता है। सरकार के पास इस महत्वपूर्ण वर्ग के लिए योजना के नाम पर अभी कुछ नहीं है। स्वास्थ्य के लिए आयुष्मान कार्ड भी नह...