बांदा, फरवरी 27 -- बांदा। मातृ-शिशु दर कम करने, टीकाकरण में सहयोग, टीबी, फाइलेरिया व मलेरिया की दवा खिलाने, महिलाओं को जागरूक करने और स्वास्थ्य विभाग की योजनाओं के सही क्रियान्वयन में हमारी महती भूमिका है। जिम्मेदारियों का बोझ तो खूब लाद दिया गया पर सम्मान और सुविधाओं की बात जब आई तो कोई सुनने वाला नहीं दिखा। यह बात आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से जिले की आशाओं ने कही। विनोद कुमारी और सुमित्रा देवी कहती हैं कि साफ साफ शब्दों में कहें तो हमसे आशाएं तो बहुत की जाती हैं लेकिन सुविधाएं न के बराबर हैं। किसी महिला के प्रसव के दौरान होने वाली दिक्कतों पर कभी किसी ने ध्यान नहीं दिया। जिला अस्पताल में गर्भवती के प्रसव के समय 24 घंटे तक रहना पड़ता है। रात में रुकने के लिए कोई तय स्थान नहीं है। इसलिए सर्दी हो या गर्मी गलियारे में या फिर इधर-उधर टहलकर...