बांदा, फरवरी 27 -- बांदा। टिठुरन भरी सर्दी हो या फिर चिलचिलाती गर्मी, चाहे झमाझम पानी ही क्यों न गिर रहा हो। हर मौसम में हाड़तोड़ मेहनत संग सफर तय कर समय पर घर-घर हम दूध पहुंचाते हैं। बड़ी दूध कंपनियों ने हमारे मुनाफे पर कब्जा कर लिया, लेकिन फिर भी हमने हार न मानी क्योंकि तिथि-त्योहारों पर अधिक दूध बेचकर पिछला मुनाफा औसत जो कर लेते हैं। लेकिन इस पर भी पिछले कुछ वर्षों से प्रशासन की नजर लग गई है। वो बात ठीक है कि इस दौरान कुछ लालची लोग मिलावट करते हैं, लेकिन उन पर कार्रवाई के नाम पर हम सभी का उत्पीड़न किया जाना भी कतई गलत है। इसके अलावा पैसे देते वक्त कभी दूध फटने तो कभी निष्ठा को झकझोरते हुए पानी अधिक मिला होने का उलाहना देकर पैसे में कटौती की जाती है। यह दर्द आपके अपने अखबार 'हिन्दुस्तान से दूधियों ने बयां किया। लक्ष्मीकांत, रामखिलावन समेत त...