बहराइच, जून 24 -- कुम्हार समाज कुम्हार समुदाय मिट्टी, पानी और ईंधन की कमी से जूझ रहा है। अच्छी मिट्टी की अनुपलब्धता और महंगे ईंधन की वजह से बर्तनों की लागत बढ़ गई है। इससे युवा इस पेशे से विमुख हो रहे हैं। मिट्टी को गढ़कर मूर्तियों का आकार देने, बर्तन तैयार करने और रोशनी के लिए दीये बनाने में कुम्हारों के हुनर का कोई सानी नहीं है। मिट्टी को गढ़ना ही इनका पेशा है। इसी कमाई से इनकी गृहस्थी चलती आ रही है। यह समाज सामाजिक, आर्थिक और तकनीकी समस्याओं से जूझ रहा है। कुम्हारी कला के लिए मिट्टी, पानी और ईंधन बुनियादी जरूरत है, लेकिन अच्छी मिट्टी के लिए कुम्हारों को परेशान होना पड़ रहा है। बोले बहराइच अभियान के तहत जब हिन्दुस्तान की टीम कुम्हारों के यहां पहुंची तो उन्होंने खुलकर अपनी समस्याएं साझा कीं। कुम्हारी कला के लिए सबसे पहली व महत्वपूर्ण जरूरत ...
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