बस्ती, मार्च 7 -- Basti News : कभी वाल्टरगंज चीनी मिल कीचिमनी पेराई सत्र में लगातार धुआं उगलती रहती थी। यहां से उठने वाली सायरन की आवाज कस्बे के लोगों के लिए टाइम मशीन से कम नहीं थी। गन्ने के शीरे की महक और फर्राटा भरतीं गन्ना लदी गाड़ियों से वाल्टरगंज कस्बा गुलजार रहता था। सीजन में चीनी मिल चलने के दौरान कई किलोमीटर तक सड़कों पर किसानों की चहल-पहल रहती थी। बाजार में रौनक रहती थी। चीनी मिल बंद होने से कस्बे की रौनक गुम हो गई है। वर्तमान में चीनी मिल का विशाल परिसर और बाउंड्रीवाल यहां के गुजरे वक्त की बुलंदियों का अहसास करा रही है। 'हिन्दुस्तान से बातचीत में चीनी मिल कर्मचारियों ने अपनी समस्याएं साझा कीं। वाल्टरगंज कस्बे में वर्ष 1927 में देशराज लाल नारंग नेचीनी मिल की नींव रखी। वर्ष1932 में चीनी मिल पूरी तरह से बनकर तैयार हो गई थी। इसी वर्ष...
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