बलिया, अप्रैल 20 -- पत्थरों के शिल्पकार अपने व्यवसाय को लेकर चिंतित हैं। 28 फीसदी जीएसटी के कारण प्रतिमाओं को रूप देने के बाद फायदा कम हो जाता है। यह पूरी तरह हैंडीक्रॉफ्ट आइटम होता है। लाभांश इस कदर कम है कि कोई भी शिल्पकार मशीन का प्रयोग नहीं करता क्योंकि वह बहुत महंगी होती हैं। असंगठित क्षेत्र के शिल्पकार ही इसे आकार देने का काम करते हैं। लोग ऑर्डर देकर सामान नहीं ले जाते हैं, जिससे पूंजी फंसती है। सरकारी दफ्तरों में आपूर्ति देने के बाद भुगतान के लिए वर्षों चक्कर लगाते हैं। नगर के शनिचरी घाट के पास स्थित पत्थरों व प्रतिमाओं के बाजार में 'हिन्दुस्तान से चर्चा के दौरान पत्थर शिल्पकारों ने अपनी दास्तान सुनाई। 'मूर्ति भंडारम के संचालक शिवकुमार सिंह कौशिकेय ने तकनीक के साथ बात की शुरूआत की। बताया कि पत्थर के शिल्पकारों को 'पाषाण शिल्पी भी क...