बलिया, जून 15 -- ओलंपिक खेलों में देश को पहला व्यक्तिगत स्वर्ण पदक दिलाने वाली शूटिंग का अभ्यास जिले के खिलाड़ियों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण है। शूटिंग हॉल में एसी तो दूर, पंखा और एग्जास्ट तक नहीं है। गर्मी और उमस भरे माहौल में टारगेट पर फोकस करना कठिन होता है। खिलाड़ियों को न पिस्टल मिलती है, न राइफल की व्यवस्था है। पैलेट, शूटिंग टारगेट कार्ड का इंतजाम करना पड़ता है। खेल विभाग से शूटिंग किट नहीं मिलती। डिजिटल टारगेट नहीं है। ठीक से अभ्यास ही नहीं तो खिलाड़ी मेडल पर कैसे निशाना लगाएं! वीर लोरिक स्पोर्ट्स स्टेडियम के शूटिंग हॉल में खिलाड़ियों ने 'हिन्दुस्तान से बातचीत में अपनी दिक्कतें साझा की। रविकरण सिंह ने कहा कि निशानेबाजी में एकाग्रता, दक्षता और धैर्य का परीक्षण होता है। मुख्य रूप से पिस्टल, राइफल और शॉटगन का उपयोग होता है। यहां के शूटि...