फिरोजाबाद, फरवरी 23 -- सुहागनगरी में जो श्रमिक महिलाओं को सुहाग के प्रतीक चिन्ह चूड़ी को बेहतर आकार दे रहे हैं। वह स्वयं विभिन्न तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। सुहाग नगरी के चूड़ी उद्योग का महत्वपूर्ण हिस्सा बने इन चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों को सरकारी मदद की दरकार है। लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई सार्थक पहल नहीं हो सकी है। जिसके चलते इन श्रमिकों की जिंदगी जटिल होती जा रही है। सरकारी स्तर पर की जा रही चूड़ी जुड़ाई श्रमिकों की अनदेखी का खामियाजा इनके परिवार को भी भुगतना पड़ रहा है। इन श्रमिकों को समुचित पारिश्रमिक नहीं मिल पा रहा। जिसकी वजह से यह अपने परिवार का भरण पोषण भी ठीक से नहीं कर पा रहे। वहीं बच्चों को बेहतर शिक्षा दिला पाना इनके लिए बहुत दूर की बात है। कांचनगरी में करीब 125 कारखाने संचालित हो रहे हैं। इनमें हर रोज लाखों चूड़ी तोड़ा का उत्प...