गंगापार, अक्टूबर 19 -- करमा ग्रामीण क्षेत्रों में जब गांव बसे तो वहां हर बिरादरी के लोग बसाए गए जिससे आपसी सौहार्द के साथ ही लोगों का हर कार्य सुगमता से होता रहे और सबका भरण पोषण भी चलता रहे। लगभग हर गांव में अन्य लोगों के अलावा नाई, धोबी, कुम्हार और मुसहर बिरादरी के लोग अवश्य होते थे जो अपने व्यवसाय के माध्यम से अपने परिवार का खर्च चलाते थे। नाई गांव के लोगों के बाल काटकर, धोबी कपड़े धोकर, कुम्हार मिट्टी के बर्तन बनाकर तो मुसहर लोग शादी विवाह में दोना पत्तल आदि बनाकर अपने परिवार का पालन पोषण करते थे लेकिन आधुनिकता के दौर ने इनके व्यवसाय पर गहरा असर डाला और इन परिवारों के लोग अन्य धंधों से जुड़ने के लिए गांवों से पलायन कर महानगरों की ओर रुख किया और वहीं के होकर रह गए। कुछ दशक पहले गांवों में मिट्टी के बर्तनों का अधिक मात्रा में उपयोग किया ज...
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