गंगापार, सितम्बर 14 -- कौंधियारा स्वच्छ भारत मिशन के तहत लाखों शौचालय बनने के सरकारी दावों के बावजूद आज भी कई गांवों में लोग खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। यह न सिर्फ स्वच्छता अभियान की अधूरी तस्वीर दिखाता है, बल्कि ग्रामीण जीवन की हकीकत भी उजागर करता है। आर्थिक मदद मिलने के बाद भी कुछ परिवारों ने शौचालय नहीं बनवाए, कुछ ने अधूरा छोड़ दिया और कई जगह पानी की कमी ने बने-बनाए शौचालयों को बेकार कर दिया। नतीजा यह हुआ कि महिलाएं और बच्चियां आज भी सुबह-शाम खेतों और सुनसान स्थानों पर जाने को विवश हैं। इससे सुरक्षा और स्वास्थ्य दोनों पर खतरा बना रहता है। गांवों की गलियों और तालाब किनारे फैली गंदगी संक्रामक बीमारियों को न्योता देती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि जब तक ग्रामीण मानसिकता नहीं बदलेगी और शौचालय का नियमित उपयोग सुनिश्चित नहीं होगा, तब तक स्वच...