भागलपुर, अप्रैल 17 -- वैसे तो भारतवर्ष में 19वीं सदी में ही साइकिल आ गई थी लेकिन पूर्णिया में इसका इतिहास 1942 के बाद से मिलता है जब मुंबई में साइकिल का निर्माण शुरू हुआ था। ऐसा माना जाता कि उसी दशक में पूर्णिया के राजघराने में साइकिल आई थी। उस समय लोग इसे साइकिल नहीं बल्कि 'पांव-गाड़ी' कहते थे। वर्ष 1950 के बाद गांव के कुछ बड़े-बड़े लोगों ने भी साइकिल खरीदी। उस समय साइकिल को स्टेटस सिंबल माना जाता था। आज की तारीख में साइकिल की जगह मोटरसाइकिल और बाइक ने ले ली है लेकिन राज्य सरकार ने स्कूली बच्चों के लिए साइकिल योजना चलाई है। इससे साइकिल चलाने वाले का एक बड़ा कुनबा जिले में तैयार हुआ है। आज साइकिलिंग स्विमिंग के बाद एक अच्छा व्यायाम साबित हुआ है। इस कारण हर उम्र के लोग साइकिलिंग को पसंद करने लगे हैं। साइकिलिंग गेम भी है। अभी पूर्णिया में 5...