भागलपुर, अप्रैल 30 -- राष्ट्रीय राजमार्ग से सटा जलालगढ़ बाजार अंग्रेज के जमाने से है। पहले यह लकड़ी का बाजार था। यहां नेपाल के जंगल एवं मोरंग की फर्नीचर की बेशकीमती लकड़ियां मिलती थी। दूर-दूर से लोग फर्नीचर के लिए लकड़ी खरीदने आते थे। चाय-पान की दुकान के साथ विकसित होते-होते यह सीमांचल का एक विकसित बाजार बन गया। जलालगढ़ बाजार में अब 450 के करीब व्यावसायिक प्रतिष्ठान हैं। धीरे-धीरे जलालगढ़ मुख्यालय व्यवसाय का केंद्र हो गया। अब इसका फैलाव कम से कम 50 एकड़ में है। यहां सिर्फ रेडीमेड और कपड़े की 40 से अधिक दुकानें हैं। इन सबके बावजूद यहां भी समस्याओं की कमी नहीं है। जलजमाव, शौचालय, रोशनी आदि की कमी है। पेयजल का अभाव है। संवाद के दौरान बाजार के व्यवसायियों ने अपनी समस्या बताई। 04 सौ 50 हैं जलालगढ़ बाजार में व्यावसायिक प्रतिष्ठान 50 एकड़ में फै...
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